परिचय

धर्मसम्राट स्वामी करपात्री

धर्मसम्राट स्वामी करपात्री (१९०७ - १९८२) भारत के एक सन्त, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं राजनेता थे। उनका मूल नाम हरि नारायण ओझा था। वे दशनामी परम्परा के संन्यासी थे। दीक्षा के उपरान्त उनका नाम 'हरिहरानन्द सरस्वती' था किन्तु वे 'करपात्री' नाम से ही प्रसिद्ध थे क्योंकि वे अपने अंजुलि का उपयोग खाने के बर्तन की तरह करते थे (कर = हाथ , पात्र = बर्तन, करपात्री = हाथ ही बर्तन हैं जिसके) । उन्होने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद नामक राजनैतिक दल भी बनाया था। धर्मशास्त्रों में इनकी अद्वितीय एवं अतुलनीय विद्वता को देखते हुए इन्हें 'धर्मसम्राट' की उपाधि प्रदान की गई। स्वामी जी की स्मरण शक्ति इतनी तीव्र थी कि एक बार कोई चीज पढ़ लेने के वर्षों बाद भी बता देते थे कि ये अमुक पुस्तक के अमुक पृष्ठ पर अमुक रूप में लिखा हुआ है। आज जो रामराज्य सम्बन्धी विचार गांधी दर्शन तक में दिखाई देते हैं, धर्म संघ, रामराज्य परिषद्, राममंदिर आन्दोलन, धर्म सापेक्ष राज्य, आदि सभी के मूल में स्वामी जी ही हैं।


जीवनी

स्वामी करपात्री का जन्म सम्वत् 1964 विक्रमी (सन् 1907 ईस्वी) में श्रावण मास, शुक्ल पक्ष, द्वितीया को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के भटनी ग्राम में सनातनधर्मी सरयूपारीण ब्राह्मण रामनिधि ओझा एवं श्रीमती शिवरानी जी के आँगन में हुआ। बचपन में उनका नाम 'हरि नारायण' रखा गया। स्वामी करपात्री 8-9 वर्ष की आयु से ही सत्य की खोज हेतु घर से पलायन करते रहे। 9 वर्ष की अल्पायु में महादेवी जी के साथ विवाह संपन्न करा दिया गया किन्तु 19 वर्ष की आयु में उन्होने गृहत्याग कर दिया। कहते हैं कि उस समय उनकी एक पुत्री भी जन्म ले चुकी थी। उसी वर्ष ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से नैष्ठिक ब्रह्मचारी की दीक्षा ली। हरि नारायण से ' हरिहर चैतन्य ' बने।


शिक्षा

संस्कृत : नैष्ठिक ब्रह्मचर्य पं जीवन दत्त से
अध्ययन : षड्दर्शनाचार्य स्वामी श्री विश्वेश्वराश्रम जी महाराज से व पंजाबी बाबा श्री अचुत्मुनी जी महाराज से अध्ययन ग्रहण किया।
श्री विद्या दीक्षा : नर्मदा उत्तर तट


तपस्वी जीवन

17 वर्ष की आयु से हिमालय गमन प्रारंभ कर अखंड साधना, आत्मदर्शन, धर्म सेवा का संकल्प लिया। काशी धाम में शिखासूत्र परित्याग के बाद विद्वत, सन्यास प्राप्त किया। एक ढाई गज़ कपड़ा एवं दो लंगोटी मात्र रखकर भयंकर शीतोष्ण वर्षा का सहन करना इनका 18 वर्ष की आयु में ही स्वभाव बन गया था। त्रिकाल स्नान, ध्यान, भजन, पूजन, तो चलता ही था। विद्याध्ययन की गति इतनी तीव्र थी कि सम्पूर्ण वर्ष का पाठ्यक्रम घंटों और दिनों में हृदयंगम कर लेते। गंगातट पर फूंस की झोंपड़ी में एकाकी निवास, घरों में भिक्षाग्रहण करना, चौबीस घंटों में एक बार, भूमिशयन, निरावण चरण (पद) यात्रा। गंगातट नखर में प्रत्येक प्रतिपदा को धूप में एक लकड़ी की किल गाड़कर एक टांग से खड़े होकर तपस्या रत रहते। चौबीस घंटे व्यतीत होने पर जब सूर्य की धूप से कील की छाया उसी स्थान पर पड़ती, जहाँ 24 घंटे पूर्व थी, तब दूसरे पैर का आसन बदलते। ऐसी कठोर साधना और घरों में भिक्षा के कारण 'करपात्री' कहलाए। श्री विद्या में दीक्षित होने पर धर्मसम्राट का नाम षोडशानन्द नाथ पड़ा।

रचनाएं

● वेदार्थ पारिजात
● रामायण मीमांसा
● विचार पीयूष
● भक्ति सुधा
● भगवत तत्व
● वर्णाश्रम धर्म और संकीर्तन मीमांसा
● वेद का स्वरूप और प्रामाण्य
● आधुनिक राजनीति
● अहमर्थ और परमार्थ सार
● वेद स्वरूप विमर्श

उद्देश्य एवं कार्य

धार्मिक कार्यों के जरिए सनातन धर्म का प्रचार कर सनातन धर्म को मजबूत करना।
मां आदि गंगा को प्रदूषण मुक्त कराना तथा गंगा सफाई हेतु प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार से सिफारिश करना।
अस्पताल, औषधालय, अनुसंधान शालाओं एवं रसायन शालाओं का संचालन एवं स्थापना करना
जल बचाव संबंधित कार्य करना तथा आम जनमानस को जल ही जीवन है सम्बन्धित जानकारियां प्रदान करना।
ट्रस्ट के उददेश्यों की पूर्ति के लिये भवन निर्माण कराना तथा अन्य निर्माण कार्य आधुनिक एवं नई तकनीकि द्वारा करना।
अस्पताल, औषधालय, अनुसंधान शालाओं एवं रसायन शालाओं का संचालन एवं स्थापना करना।
प्राकृतिक पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने हेतु कार्य करना। पर्यावरण संरक्षण को मजबूत को मजबूत करने के लिए गांवों व शहरों में पौधे लगाना।
खाली पड़ी भूमि पर वृक्षारोपण करना ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे और आय के साधन बढ़े, अवैध कब्जे भी न हो पाएं।
पर्यावरण संरक्षण को नुकसान पहुंचा रहे हरे पेड़ों की कटान को रोकना।
संस्थान के बारे में संक्षिप्त जानकारी

धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी सेवा संस्थान

उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट निरंतर प्रयासरत है कि समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाने और समृद्धि के मार्ग पर ले जाने में सहायक बन सकें। हम गंगा को प्रदूषण मुक्त करने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार के साथ सहयोग करेंगे। साथ ही जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, और वृक्षारोपण के माध्यम से प्राकृतिक संतुलन को स्थायी बनाए रखने के लिए कार्रवाई करेंगे। हमारा उद्देश्य है कि समाज के हर व्यक्ति को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं, ताकि हर कोई अपनी स्वतंत्रता और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सके। हम समाज के हर वर्ग के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसर प्रदान कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


More Details

Our Work in numbers...

Without change there is no innovation, creativity or incentive for improvement. Those who initiate change will have a better opportunity to manage the change that is inevitable.

Donate Now Join Membership
00

Camp

00

Branch

00

Volunteers

00

Projects



Team

Team

सुरेंद्र कुमार तिवारी

अध्यक्ष/मुख्य ट्रस्टी
Team

राकेश त्रिपाठी

सचिव/ट्रस्टी
Team

अनुराग तिवारी

कोषाध्यक्ष/ट्रस्टी
Team

राजकुमार तिवारी

उपाध्यक्ष
Team

शिवम तिवारी

उपसचिव

धर्म सारथी-

  1. श्री डा. विवेक कुमार श्रीवास्तव, एडवोकेट हाईकोर्ट (विधिक सलाहकार)
  2. आचार्य राम कृपाल तिवारी (शास्त्री)
  3. राजकरन तिवारी
  4. अनिल कुमार त्रिपाठी (शास्त्री)
  5. विजय कुमार तिवारी
  6. अंजनी तिवारी
  7. हरकेश तिवारी
  8. अमित तिवारी
  9. विजयशंकर तिवारी(वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
  10. रविशंकर तिवारी
  11. चितरंजन तिवारी
  12. अजय तिवारी
  13. श्रीकांत तिवारी
  14. प्रदीप तिवारी

धर्म सारथी-

  1. नागेंद्र तिवारी
  2. शिवशंकर तिवारी
  3. अभिषेक तिवारी
  4. राहुल तिवारी
  5. अनूप तिवारी
  6. आशुतोष तिवारी (आनंद)
  7. शिवनारायण तिवारी (गौरव)
  8. दीप नारायण तिवारी
  9. गणेश नारायण मिश्र
  10. संदीप तिवारी
  11. अनीत तिवारी
  12. नीतेश तिवारी (रौनक)
  13. आदर्श तिवारी
  14. अर्पित तिवारी

धर्म सारथी-

  1. विवेक तिवारी
  2. दीपेंद्र ओझा
  3. अमृतलाल पटेल
  4. आशु गुप्ता